एक गार्ड की नौकरी करने वाला युवाक यूजीसी नेट पास किया

सपने हर कोई देखता है और उसको पुरा करने का प्रयाश भी करता है। लेकिन हम आपको आज एक ऐसे युवाक के बारे मे बतायेंगे जिसने इसकी मिशाल पेश की हैं। सपना पूरा करने की निष्ठा और लगन हाे ताे प्रतिभा कभी संसाधनों की मोहताज नहीं होती। ऐसे लाेग जब सपना पूरा करने में जुट जाते हैं ताे रास्ते स्वतः बनते जाते हैं। ऐसी ही प्रतिभा के धनी है रांची जिला निवासी अमरेन सेठ। संसाधनों की कमी के बावजूद इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलता की नई इबारत लिखी।
बरियातू स्थित एक अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड की ड्यूटी करते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा परीक्षा (नेट) में पहली बार में पास हुए। इतना ही नहीं इनका चयन जूनियर रिसर्च फैलोशिप के लिए किया गया है। अब इन्हें प्रतिमाह लगभग 32 हजार रुपए फैलोशिप मिल रहा है।
सोनाहातू प्रखंड स्थित तेलवाडीह गांव के रहने वाले अमरेन सेठ वैसे छात्रों के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो संसाधनों की कमी बताकर बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं। अमरेन बताते हैं कि जिस अपार्टमेंट में गार्ड की नौकरी कर रहा था, उसी में रांची विवि के जूलॉजी विभाग के डॉ. आनंद ठाकुर और फिजिक्स विभाग के डॉ. राजकुमार रहते हैं। इन दोनों शिक्षकों ने न सिर्फ आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया, बल्कि अपेक्षित सहयोग भी किया।
रांची विवि के पीजी हिंदी विभाग में कर रहा है शोध
रांची विवि के पीजी हिंदी विभाग में डॉ. कुमुद कला मेहता की मॉनिटरिंग में अमरेन सेठ शोध कर रहा है। अमरेन बताते हैं कि कुमद कला मेहता से बेहतर मार्गदशन मिल रहा है। इस कारण तय समय के अंदर रिसर्च कार्य पूरा हो जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षक बनना चाहता हूं।
साेनाहातू से की है 10वीं की पढ़ाई और आरयू से यूजी-पीजी
अमरेन सेठ अपने गांव सोनाहातू स्थित राज्य संपोषित हाईस्कूल से 10वीं 68 प्रतिशत अंक के साथ पास हुआ था। एमसीएम इंटर कॉलेज बारुडीह से इंटर में 47.5 प्रतिशत अंक मिले थे। पीपीके कॉलेज बुंडू से स्नातक में 54 प्रतिशत अंक मिले। इसके बाद पीजी करने के लिए आरयू पीजी हिंदी विभाग में दाखिला लिया, जहां इन्हें 74.31 प्रतिशत अंक मिले।
वंचितों को पढ़ाई में मदद करुंगा
अमरेन बताते हैं कि अभाव में उच्च शिक्षा की पढ़ाई जारी रखना मुश्किल होता है। लेकिन, नामुमकिन नहीं है। रिसर्च कार्य पूरा करने के लिए वंचितों को पढ़ाई आगे जारी रखने में हरसंभव मदद करुंगा। मेरे पिता गया प्रसाद सेठ गांव में खेती करते हैं। मां सबरी देवी गृहिणी हैं।