
धनबाद के करकेंद निवासी अशोक रजवार को अपनी मां के के लिए अस्पतालों ले गए उनके पास आयुष्मान गोल्डन कार्ड था। वहां डॉक्टरों ने आयुष्मान से इलाज करने से साफ़ मना कर दिया। अशोक की तरह दर्जनों गरीब परिवार आयुष्मान भारत योजना से इलाज की आस लेकर निजी अस्पतालों में कब से घूम रहे है। कहीं उनका इलाज नहीं हो रहा है। सभी निजी अस्पतालों ने बकाया भुगतान की मांग को लेकर आयुष्मान से इलाज बंद कर दिया है। नतीजा मरीज गोल्डन कार्ड लेकर भटक रहे हैं।
नीजी अस्पतालों ने कैशलेस इलाज किया बंद
बता दें कि पांच माह के बकाया भुगतान की मांग को लेकर आयुष्मान से रजिस्टर्ड जिले के सभी 25 अस्पतालों ने गोल्डन कार्ड पर शुक्रवार से कैशलेस इलाज बंद कर दिया है। इसका खमियाजा मरीजों को भुगताना पड़ रहा है। पाटलिपुत्र नर्सिंग होम के संचालक डॉ निर्मल ड्रोलिया कहते हैं कि उनके अस्पताल में सुबह से लगभग 20 लोग आयुष्मान के तहत इलाज करवाने आ चुके हैं। चाह कर भी उनका इलाज नहीं कर पा रहा हूं। सरकार बकाया पैसे नहीं दे रही है। पांच महीने से भुगतान नहीं हुआ है। जब तक संभव हुआ, जरूतमंदों को सुविधा दी। अब बिना पैसे काम करना मुश्किल हो गया है।