
पोषण सखी रुबिया खातून ने बताया कि पिछले 1 सालों से पोषण सखियों का मानदेय बकाया है। इसीलिए रांची में उग्र आंदोलन भी किया गया था। शिक्षा मंत्री द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद आंदोलन तोड़ा गया था। आंदोलन तोड़े जाने के दिन ही सभी पोषण सखियों को चयन मुक्त कर घर बैठा दिया गया। चयन मुक्त पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा। 31 मार्च को मानदेय मिल जाने के आश्वासन के बाद भी अब अभी तक मानदेय नहीं आया है। इस दौरान जोबा मांझी से भी वार्ता की गई। जोबा मांझी का कहना है कि एक बार आवंटन आ गया था जो 4 दिन बाद किसी कारणवश वापस चला गया। फिर से अनुमोदन कर आदेश दिया गया है और जिले में आवंटन चला गया है। हमारी यही मांगे हैं कि सरकार और विभाग पोषण सखियों के मानदेय का भुगतान करें और चयन मुक्त पत्र को वापस ले।
पोषण सखी प्रदेश अध्यक्ष सोनी पासवान ने बताया कि विभाग मंत्री जोबा मांझी ने कई बार वादा करके और विधानसभा में बात उठा कर, दो से तीन बार आश्वासन दिया गया है की मानदेय का भुगतान कर दिया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है। आचार संहिता खत्म होने के बाद शहर में चक्का जाम कर हक की मांग कि जाएगी .बता दे कि, पोषण सखियों का मानदेय प्रतिदिन 100रुपय के हिसाब से प्रतिमाह मात्र 3000 रुपए होने के बावजूद पिछले 1 सालों से पोषण सखियों का मानदेय बकाया है इसके साथ ही जिले में 10 हजार 388 पोषण सखियों को चयन मुक्त कर दिया गया है।