JHARKHAND

नौरात्रि में घोड़े पर सवार होकर आएँगी माँ भवानी, जानें क्या पड़ेगा उसका प्रभाव

चैत्र नवरात्रि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. इस साल 2 अप्रैल (शनिवार) से नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, जो पूरे नौ दिनों तक चलेगी. नौ दिनों में विशेष योग बनेंगे. मां भगवती की साधना के लिए उत्तम चैत्र नवरात्र दो अप्रैल से शुरू होंगे. घट स्थापना सुबह 6:10 से 11:28 बजे तक अति शुभ रहेगा. प्रथम दिन शैलपुत्री का पूजन होगा. प्रतिपदा को शनिवार होने से पूरा साल सर्वश्रेष्ठ होगा. इस बार नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आयेंगी. वहीं मां दुर्गा की विदाई भैंस पर होगी. जब मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध और विभीषिका जैसे हालात बनते हैं. वहीं मां दुर्गा भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं, तो देश में रोग ,कष्ट , प्रकृति प्रकोप का प्रभाव बढ़ते बढ़ता है.

वहीं जब मां दुर्गा जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है. नौका पर सवार होकर माता रानी आती हैं तो शुभ फलदायी होता है. अगर मां डोली पर सवार होकर आती हैं तो महामारी का अंदेशा होता है. इसी तरह मां दुर्गा मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है. हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करने से बारिश ज्यादा होती है. मां दुर्गा अगर मनुष्य की सवारी करके जाती हैं तो सुख-शांति बनी रहती है.

प्रस्थान की सवारी और उनके संकेत

अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार को हो रहा है, तो मां दुर्गा भैंसे की सवारी से जाती हैं। इसका संकेत होता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदंबे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। ये दुख और कष्ट की वृद्धि को ओर इशारा करता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो मां की वापसी हाथी पर होती है जो अधिक बरसात को ओर संकेत करता है। इसके अलावा अगर नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है, तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं जो सुख और शांति की वृद्धि की ओर इशारा करता है।

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