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झारखंड में आज हेमंत सरकार लेगी बड़ा फैशला, नई नीतियों में संशोधन और बदलाव पर होगी चर्चा

रांची। इस बार राज्य कैबिनेट की बैठक में बहुत सारी नीतियों में संशोधन और बदलाव पर चर्चा होगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण खेल नीति का रहा है। राज्य में पहली बार इस तरह की नीति तैयार होने की बात सामने आयी है । इसके अलावा प्रदेश में उत्पाद नीति में भी संशोधन की संभावनाएं प्रबल हैं और इसके लिए भी कैबिनेट में प्रस्ताव आना लगभग तय है। इसके अलावा उद्योग विभाग की दो नीतियां भी लंबे समय से पाइपलाइन में हैं और इनपर भी विचार होने की बात कही जा रही है। ये नीतियां हैं इलेक्ट्रिक वाहन नीति और औद्योगिक पार्क नीति जो अगले पांच वर्षों के लिए तैयार की जा चुकी हैं। इन नीतियों के बाद उद्योग क्षेत्र के माहौल में बदलाव की उम्मीद सरकार कर रही है।

नीतियों के अलावा स्वास्थ्य विभाग में बाहरी एजेंसियों के काम करने के लिए रास्ता खुलता दिख रहा है। यहां प्रोजेक्ट मानीटरिंग यूनिट का गठन होगा जिसमें एक्सपर्ट बहाल होंगे। ये एक्सपर्ट 15वें वित्त आयोग की योजनाओं, आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के क्रियान्वयन पर फोकस करेगी। इसके साथ ही पहले से कैबिनेट की प्रत्याशा में लिए गए कुछ निर्णयों को भी कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार बैठक में दो दर्जन से अधिक प्रस्ताव विचारार्थ लाए जा सकते हैं।

मार्च लूट से बचने को कड़े इंतजाम

राज्य सरकार के विभिन्न विभाग मंगलवार की शाम तक लगभग 68 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की ओर बढ़ते दिखाई दिए। सभी ट्रेजरी में देर तक काम होने के कारण घड़ी-घड़ी आंकड़े बदलते रहे। आंकड़ों के लिहाज से पिछले वर्ष का रिकार्ड अब टूट चुका है। सरकार के लिए राहत की बात यह दिख रही है कि योजना मद के तहत आवंटित निधि में से 65 फीसद से अधिक राशि खर्च की जा चुकी थी। कार्य विभागों को भी अंतिम समय तक राशि मिलती रही और इसकी निकासी भी होती रही।

वित्तीय वर्ष के दो ही दिन शेष बचे हैं जिस कारण से विभाग भी कड़ी निगरानी रख रहा है। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से खर्च राशि का आंकड़ा वर्तमान में 68 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। मंगलवार की शाम तक इस आंकड़े में बढ़ोतरी की प्रक्रिया जारी थी। विभागीय अधिकारी को भी लगातार अपडेट आंकड़ों की जानकारी दी जा रही थी। अंतिम समय में अधिसंख्य निकासियां कार्य विभागों से संबंधित रही हैं। वित्त विभाग भी इन मामलों में लचीला रुख अपनाए हुए हैं, हालांकि कहीं से भी नियमों में ढील नहीं दी जा रही है।

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