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लव जिहाद-मतांतरण के खिलाफ आदिवासियों ने खोला मोर्चा, बोले-बेटियों को जाल में फंसा हमारा हक छीन रहे ‘वे लोग’

करमाटांड़ (जामताड़ा) : लव जिहाद को लेकर आदिवासियों ने मोर्चा खोल दिया है। आदिवासियों का आरोप है कि संताल परगना में बड़ा षड्यंत्र हो रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठिए और मुस्लिम युवक लव जिहाद के सहारे इनकी बेटियों को जाल में फंसा रहे।

करमाटांड़ के निजकजरा जंगल में शनिवार को आदिवासी महाजुटान में लोगों ने आरोप लगाया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए और मुस्लिम युवक आदिवासियों का हक छीन रहे हैं।

जामताड़ा, दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग के आदिवासी समाज के लोग यहां पहुंचे थे। आदिवासी जुटे तो अपने-अपने क्षेत्र की घटनाओं पर चर्चा की।

उन्होंने कहा कि आदिवासियों को हर स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी संस्कृति पर हमला हो रहा है। इस अवसर पर तय हुआ कि आदिवासी समुदाय एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए गांव-गांव जाकर को जागरूकता फैलाएंगे।

ग्रामीणों को बताया जाएगा कि मतांतरण, लव जिहाद और बांग्लादेशी घुसपैठ से निपटने के लिए कमर कसें, हम प्रकृति पूजा करते हैं, किसी के प्रलोभन में नहीं आएं। जरूरत पर आंदोलन को सड़क पर भी उतरें।

रुबिका और सुशीला को मुस्लिम युवकों ने मार डाला

महाजुटान के आयोजक आदिवासी एकता संघ के अध्यक्ष अनिल टुडू ने बताया कि मुस्लिम युवक आदिवासी युवतियों को प्रेमजाल में फंसाते हैं। शादी कर मतांतरण कराते हैं। फिर इन्हीं युवतियों को पंचायत व अन्य चुनाव में उतार आदिवासी रिजर्व सीट हथियाते हैं। इसके लिए बाकायदा लव जिहाद हो रहा।

बता दें कि साहिबगंज की आदिवासी सुशीला हांसदा को मुस्लिम युवक अरबाज आलम ने प्रेम में फंसाया, इसके बाद उसकी बात न मानने पर मार डाला। यहीं की रुबिका के साथ मुस्लिम युवक ने शादी की, उसके बाद उसको कई टुकड़ों में काट डाला। आरोप है कि दुमका की एक किशोरी को मुस्लिम युवक ने गर्भवती कर दिया। इसके आहत उसने आत्महत्या कर ली।

जब आदिवासी नहीं रहे तो आरक्षण किस बात का

हजारीबाग के चंपा से आए सुधीर बास्की कहते हैं कि आदिवासियों के आरक्षण का अतिक्रमण हो रहा। जो आदिवासी समाज छोड़ मुस्लिम से शादियां कर रहीं, उनको आरक्षण किस बात का। ये महिलाएं वापस अपने समाज में आएं या फिर आदिवासी अधिकार का दावा न करें।

सुधीर का आरोप है कि मुस्लिम युवक सबसे ज्यादा आदिवासी लड़कियों को निशाना बना रहे। कोई महिला मुस्लिम युवक से विवाह करती है तो उसे आदिवासी धर्म गुरु, आदिवासी रीति रिवाज व आदिवासी भूमि से अलग किया जाएगा।

लोकसभा में उठा है आदिवासियों की घटती संख्या का मुद्दा

संताल इलाके में आदिवासियों की घटती संख्या का मुद्दा लोकसभा तक में गूंजा है। साहिबगंज की ही बात करें तो 1901 में आदिवासियों की जनसंख्या 35% थी, मुस्लिमों की नौ प्रतिशत। अब आदिवासियों की जनसंख्या केवल 24% है, मुस्लिमों की 35 प्रतिशत।

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