झारखंड में 23 मामलों में आरोपी गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव मुंबई से गिरफ्तार, जानें- इसके आतंक की कहानी

झारखंड में पिछले आठ साल से अज्ञात ठिकाने से बड़े आपराधिक गैंग को ऑपरेट करने वाला गैंगस्टर अमन श्रीवास्तव को मुंबई में गिरफ्तार कर लिया गया है. उसे झारखंड और महाराष्ट्र की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड के ज्वायंट ऑपरेशन के दौरान पकड़ा गया. अमन को मंगलवार को मुंबई कोर्ट में पेश किया गया. वहीं अब उसे रांची लाया जाएगा. झारखंड के डीजीपी अजय सिंह ने बताया कि, अमन का गिरोह झारखंड के पांच-छह जिलों से हर महीने करोड़ों की रंगदारी वसूलता रहा है.
बात दें कि, झारखंड पुलिस के लिए वह एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. कोयला, पत्थर, बॉक्साइट माइनिंग से लेकर ट्रांसपोटिंर्ग, टेंडर, कन्स्ट्रक्शन तक से जुड़े कारोबारियों और कंपनियों से अमन श्रीवास्तव रंगदारी वसूलता था. साथ ही मर्डर, आगजनी, गोलीबारी और गैंगवार की सैकड़ों वारदात को उसके गिरोह के लोगों ने के अंजाम दिया है. यह गिरोह बड़े पैमाने पर आर्म्स की सप्लाई भी करता रहा है.
इन जगहों पर करता था रंगदारी
अमन श्रीवास्तव के गिरोह ने मुख्य तौर पर रामगढ़-हजारीबाग कोयलांचल, चतरा, लोहरदगा और लातेहार जिलों में अपना नेटवर्क बना रखा है. गिरोह के गुर्गे कारोबारियों, माइनिंग करने वालों, ठेकेदारों की लिस्ट बनाकर उनसे नियमित तौर पर रंगदारी वसूलते रहे हैं. वहीं जो लोग उसकी हिटलिस्ट में हैं, उन्हें पता है कि अमन श्रीवास्तव गैंग की ओर से की गई डिमांड पर ना करने का अंजाम खतरनाक होता है. आगजनी, गोलीबारी, हत्या की अनगिनत वारदात की जिम्मेदारी अमन के गिरोह ने खुद ली है.
अलग-अलग थानों में 23 मामले दर्ज
पुलिस ने अमन श्रीवास्तव के खिलाफ रांची, रामगढ़, लोहरदगा, हजारीबाग और लातेहार जिले के अलग-अलग थानों में 23 मामले दर्ज कर रखे हैं. हालांकि, उसके गिरोह ने सैकड़ों वारदातों को अंजाम दिया है, लेकिन इनमें से ज्यादातर मामले अनरिपोर्टेड रहे हैं. पुलिस ने पिछले आठ सालों में अमन श्रीवास्तव के दर्जनों गुर्गों को गिरफ्तार किया, लेकिन उसके ठिकाने तक पुलिस कभी पहुंच नहीं पाती थी. उसके कभी महाराष्ट्र, कभी कर्नाटक, कभी आंध्रप्रदेश तो कभी मध्य प्रदेश में होने की सूचना जरूर मिलती थी. उसकी गिरफ्तारी को झारखंड पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
इन लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज
झारखंड पुलिस के एटीएस थाना में 17 जनवरी 2022 को अमन श्रीवास्तव गिरोह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. इसमें अमन श्रीवास्तव सहित 15 लोग आरोपी बनाए गए थे. इनमें अमन श्रीवास्तव का भाई अभिक श्रीवास्तव, बहनोई चंद्रप्रकाश राणू, बहन मंजरी श्रीवास्तव शामिल थे. इसके अलावा चचेरे भाई प्रिंसराज श्रीवास्तव, सहयोगी विनोद कुमार पांडेय, जहीर अंसारी, फिरोज खान उर्फ साना खान, मजमूद उर्फ नेपाली और असलम, सिद्धार्थ साहू भी शामिल हैं.
हवाला के जरिए मंगवाता था रंगदारी
एटीएस ने चार्जशीट में बताया है कि, अमन श्रीवास्तव खुद सीधे तौर कभी भी न तो कोई कांड करता है और न ही लेवी ही वसूलता है. वह अपने गुर्गों-सहयोगियों के माध्यम से दहशत फैलाने के लिए गोलीबारी व आगजनी की घटना को अंजाम दिलाता था. रंगदारी के रूप में मिलने वाली राशि भी वह खुद नहीं लेता था. हवाला के माध्यम से अपने रिश्तेदारों तक लेवी की राशि मंगवाता था.
पिता की हत्या के बाद बना गैंगस्टर
अमन के पिता सुशील श्रीवास्तव कोयलांचल के बड़े गैंगस्टर थे. रंगदारी का नेटवर्क उसी ने डेवलप किया था. वह हत्या के एक मामले में जेल में आजीवन कारावास काट रहा था और 2 जून 2015 को हजारीबाग कोर्ट परिसर में उसकी हत्या कर दी गई थी. इसके बाद सुशील के बड़े बेटे अमन श्रीवास्तव ने गिरोह की कमान संभाल ली थी.