आंगनबाड़ी केंद्रों को दिए जाने वाले रेडी टू ईट के पैकेट से चम्मच गायब कर सालाना एक करोड़ का घपला कर रही एजेंसी

घोटाला झारखंड की पहचान बन गया है। कभी मनरेगा घोटाला, कभी खनन घोटाला तो कभी कंबल घोटाला। और अब एक नया घोटाला सामने आया है-चम्मच घोटाला। राज्य के 38,441 आंगनबाड़ी केंद्रों में निबंधित 4.09 लाख गर्भवती व दूध पिलाने वाली मां और 14.23 लाख तीन साल तक के बच्चों काे हर माह दिए जा रहे रेडी टू ईट के पैकेट से चम्मच की चोरी हो रही है। इसकी आपूर्ति करने वाली एजेंसी आंगनबाड़ी केंद्रों को पोषाहार पैकेट के साथ चम्मच नहीं देकर सालाना करीब एक करोड़ रुपए बचा रही है।

महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा इन महिलाओं और बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए हर माह चार-चार पैकेट पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। इस पैकेट के साथ हर दूसरे माह प्लास्टिक का एक ​चम्मच दिया जाना है। लेकिन पोषाहार आपूर्ति करने वाली एजेंसी कभी तीन माह में तो कभी छह माह में एक चम्मच देती है। हालांकि इस चम्मच की कीमत महज एक रुपए है। लेकिन एजेंसी एक साल में करीब एक करोड़ चम्मच का घपला कर रही है।

18.32 लाख महिलाओं व बच्चों को हर दूसरे महीने देनी है चम्मच, पर कभी तीन तो कभी छह माह में दे रहे

ऐसे समझें… चम्मच की हेराफेरी का गणित : गर्भवती, दूध पिलाने वाली मां और तीन साल तक के बच्चों यानी कुल 18.32 लाख को हर दूसरे महीने पोषाहार पैकेट के साथ चम्मच देना है। यानी साल में छह बार, जो 1.10 करोड़ होता है। लेकिन एजेंसी किसी सेंटर में तीन माह ताे किसी में छह माह में एक बार चम्मच दे रही है। यानी साल में करीब एक करोड़ चम्मचों की चोरी हो रही है। यह भी वहीं दी जा रही है, जहां सेविका-सहायिकाएं मांगती हैं। करीब 90 फीसदी सेविका-सहायिका को इसकी जानकारी नहीं है।

स्वास्थ्य पर भी असर…क्योंकि नापकर पोषाहार खाना है

आंगनबाड़ी केंद्रों में लाभुक काे महीने में 24 दिन रेडी टू ईट खाने के लिए दिया जाता है। यह पाैष्टिक आहार है। इसलिए राेजाना चम्मच से नापकर ही आहार का सेवन करना है, लेकिन चम्मच नहीं दिए जाने से लाभुक बिना मापे ही पोषाहार का सेवन कर रहे हैं। ऐसे में कभी कम ताे कभी अधिक का सेवन कर रहे हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।

चम्मच दिए बिना रसीद पर हस्ताक्षर कराती है एजेंसी

एजेंसी के कर्मचारी आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार का पैकेट देने के बाद प्राप्ति रसीद पर सेविका का हस्ताक्षर कराते हैं। इसमें चम्मच दिए जाने का भी उल्लेख हाेता है, लेकिन पैकेट में चम्मच नहीं हाेता है। सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की सेविकाओं काे चम्मच की जानकारी नहीं हाेने की वजह से वे बिना पूछताछ किए प्राप्ति रसीद पर हस्ताक्षर कर देती हैं।

चम्मच नहीं देना गंभीर बात, जांच कराकर कार्रवाई करेंगे
आंगनबाड़ी केंद्रों को दिए जा रहे पोषाहार पैकेट के साथ चम्मच देने का नियम है ताे एजेंसी काे देना ही हाेगा। चम्मच नहीं मिलने की जानकारी अभी तक नहीं मिली है। एजेंसी चम्मच नहीं दे रही है ताे यह गंभीर बात है। पूरे मामले की जांच कराकर एजेंसी पर कार्रवाई की जाएगी।

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